Router and modem
in hindi -लोग जब भी इंटरनेट कनेक्शन लेते है तो मोस्टली वो बीएसएनएल
को अप्रोच करते है जबकि वंहा से मॉडेम लेकर उसका मंथली किराया देने की जगह हमेशा
अपना मॉडेम खरीदने को प्राथमिकता देते है तो जब भी वो लोग मार्किट में जाते है तो
राऊटर और मॉडेम को लेके उनमे काफी दुविधा होती है और जानकारी के अभाव में चुनाव
करना मुश्किल हो जाता है जबकि मॉडेम और राऊटर में बेसिक फर्क करना बहुत आसान है
यंहा मैं आपको आसान भाषा में बताता हूँ इनके बीच फर्क क्या है
मॉडेम : मॉडेम शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जो इसकी
कार्यप्रणाली को दर्शाता है मॉडेम का कार्य है हमारी टेलीफोन लाइन से आने वाले
एनालॉग सिग्नल को मॉडुलेट करना और इस तरह के डिजिटल सिग्नल में बदलना कि इसे हमारी
कंप्यूटर डिवाइस समझ पाये और कंप्यूटर से आने वाले सिग्नल को डेमॉडुलेट करके
एनालॉग सिग्नल में बदलकर उसे वापस भेजना और इसी मॉडुलेशन और डेमॉडुलेशन शब्द को
मिलकर ही इसका नाम मॉडेम बना है और हमे पारम्परिक तरीके से इंटनरनेट की सुविधा को
प्राप्त करने के लिए मॉडेम की आवश्यकता होती है और इसकी कार्य प्रणाली को आप निम्न
चित्र के द्वारा भी समझ सकते है । असल में मॉडेम के बिना इंटरनेट का परिभाषित नहीं
है क्योकि यही है जो आपको फ़ोन लाइन से जोड़ता है
राऊटर : राऊटर का कार्य है मॉडेम से आने वाले डिजिटल सिग्नल
को एक से अधिक कंप्यूटर या डिवाइस के लिए उपलब्ध करवाना क्योंकि राऊटर को केवल और
केवल मॉडेम से ही जोड़ा जा सकता है और अगर राऊटर वाई फाई है तो यह आपको वाई फाई
सुविधा भी उपलब्ध करवाता है ।
कुछ विशेष बाते :
आजकल कुछ मॉडेम वाई फाई और राऊटर का काम भी करते है जबकि एक
अलग से राऊटर होना सिक्योरिटी के कुछ विशेष पैरामीटर उपलध करवाता है जबकि अकेले
मॉडेम यह नहीं करवाता और एक मॉडेम इंटरनेट उपलब्ध होने के लिए आवश्यक है जबकि
राऊटर नहीं जबकि कुछ इंटरनेट कंपनीज़ बड़े शहरों में सीधे ईथरनेट केबल यानि के
डिजिटल सिग्नल के द्वारा उपलब्ध करवाते है और इस तरह के केस में आपको केवल राऊटर
की आवश्यकता होती है और अधिक जानकारी के लिए आप अपने इंटरनेट सेवा प्रदाता से
सम्पर्क करे ।
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